कहानी-पूजा के फूल ©संजीव शुक्ला
हरा भरा खुशहाल छोटा सा गाँव ..ऊँचे ऊँचे पेड़ों के बीच बने खपरैल के छोटे छोटे घर ..गाय के गोबर से लीपे गए बड़े-बड़े आँगन .उनमे खेलते-कूदते हँसते खिलखिलाते किलकारियां मारते भागते दौड़ते अधनंगे बच्चे ..दालान में रस्सी की खाट डालके बैठे बीड़ी का धुँआ उड़ाते आपस में गप्प करते कुछ बुज़ुर्ग ..घूँघट निकाल के आपस में हंसी मज़ाक करतीं अपने रोज़ के काम में व्यस्त महिलाएं ..कच्चे रास्ते पर थोड़ी और आगे चलकर ठीक गाँव के बीचो बीच .बड़ी विशाल पक्की हवेली ..गाँव के सभी लोग हवेली को बखरी कह्ते हैं ..बखरी में रहते हैं पुराने ज़मीदार.. बड़े बब्बू और नन्हे बब्बू ..के नाम से गाँव के लोग इन्हे जानते हैं बखरी के सभी सदस्यों के प्रति सभी गाँव वालों के मन में बहुत आदर है ..आज भी आपस के छोटे मोटे विवाद बखरी पहुंच कर निपट जाते हैं ..बड़े बब्बू लगातार कई सालों से क्षेत्र के विधायक हैं .अधिकतर शहर में रहते हैं गाँव में कभी कभार आना होता है ..नन्हे बब्बू कुश्ती कसरत और करिंदों के साथ घूमने फिरने में व्यस्त ..कभी कभी नन्हे बब्बू खुली जीप में अपने लठैत कारिंदों के साथ गाँव की मुख्य सड़क पर निकलते है