फ़ाग ©विपिन बहार
दिल हमारा गुनगुनाता,प्यार जाता जाग जानम ।
गाल हो जाते गुलाबी,सोचकर वो फ़ाग जानम ।।
ओढ़नी तो झिलमिलाती,सप्तरंगी मोतियों से ।
रंग फेंका जा रहा था,संगमरमर खिड़कियों से ।।
तुम लजाई झाँकती थी,क्या करूँगा आँकती थी ।
इस नजर में देखकर तुम,मन हमारा भाँपती थी ।।
जब नजर की हो लड़ाई,तो बदलते राग जानम ।
गाल हो जाते गुलाबी,सोचकर वो फ़ाग जानम ।।
नाम बिन बोले हमारा,बात सब कहती हमें थी ।
रंग हाथों में लिए तुम,ढूंढती फिरती हमें थी ।।
लाल-केसर आसमानी,रंग कैसा घोल जाता ।
जब तुम्हारी इक छुअन से,मन कुँवारा डोल जाता ।।
सब जला कर राख करती,दिल लगी ये आग जानम ।
गाल हो जाते गुलाबी,सोचकर वो फ़ाग जानम ।।
फागुनी मौसम हसीं था,खेत मे सरसों लगें थे ।
दिल तुम्हारा जीतने में,यों बहुत बरसो लगें थें ।।
तुम ख़ुदी को खोजती थी,यार मेरी शायरी में ।
शायरी को तुम छुपाकर,रख रही थी डायरी में ।।
चाहकर भी मिट सके ना,मन जगा अनुराग जानम ।
गाल हो जाते गुलाबी,सोचकर वो फ़ाग जानम ।।
©विपिन"बहार"
अरे वाह
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका👏👏👏👏
हटाएंवाह बेहद मनभावन
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार आपका👏👏
हटाएंबहुत उम्दा रचना भईया जी 👌🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार भाई जी👏👏
हटाएंसुंदर गीत 💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार आपका👏👏
हटाएंअति सुंदर एवं मनमोहक गीत सृजन 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार आपका👏👏👏
हटाएंबहुत-बहुत आभार आपका👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण गीत भइया ... 💐👌💐👏
जवाब देंहटाएंजी सादर आपका👏👏👏
हटाएंबहुत खूबसूरत भैया 👏🌞😍
जवाब देंहटाएंजी सादर आभार आपका👏👏
हटाएंवाह बहुत ही सुंदर मनभावन सृजन 👌👌👌👌💐💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंजी सादर आभार आपका👏👏👏
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