आखिरी बाते ©तुषार पाठक

 एक सफ़ेद और कोरे काग़ज़ पर मेरी प्रिये तेरी कुछ बाते लिखते हैं, 

तेरे मेरे कुछ बिताए हुए पल को मेरी कुंडली की 

साढ़े साती की दशा मे राहु की अंतर्दशा का नाम देते हैं, 

तेरी कही हर बात को दिल लगा कर सुनना और मेरी बाते को बिना सुने तेरा

यूँ ही चले जाने को मेरी खामोशी का नाम देते हैं! 

तूने जो झूठी कसमें मेरे लिए खाई थी, 

अब वही कसमें तू किसी और के लिए खा रही हैं!

तूने मेरे बाहों मे जो ज़िंदगी बिताने के सपने देखे थे,

अब वही सपने तू किसी और की बाहों मे देख रही है! 

तूने जो कभी मेरे लिए घड़ियाली आँसू  बहाए थे, 

अब वही अमृत तुल्य आँसू तू किसी और के लिए बहा रही है! 

तू कभी मेरे दिल के बनाए घर पर राज करती थी, 

अब तू किसी और के दिलो- दिमाग़ की ज़रूरत बन गई हैं! 

मै कभी तेरे आखों का कैदी था,

अब तू किसी और की आँखो की मुज़रिम है! 

तू कभी मेरे लिए किसी अधूरी कहानी का सारांश थी, 

अब तू किसी और की ज़िंदगी का पूर्ण अध्याय है!


©तुषार पाठक

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी रचना 💐💐💐💐

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  2. अत्यंत सुंदर रचना 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻😊

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  3. एक एक पंक्ति भावनात्मक है🙏

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  4. बहुत सुंदर.... बहुत बहुत खूब.... वाह्हहहहहहहहह

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  5. वाह.... अत्यंत भावपूर्ण मर्मस्पर्शी रचना भैया💐💐💐💐

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