ख़ुशबू ©दीप्ति सिंह

 वज़्न- 212 212 1222


तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू 

मेरी साँसों में है घुली ख़ुशबू 


जब भी तेरा ख़याल आता है

ऐसा लगता है ओढ़-ली ख़ुशबू 


ज़िक्र तेरा सुकून देता है 

ज़िंदगी है ये चुलबुली ख़ुशबू 


ये हवा की कोई शरारत है

छेड़ जाती है मनचली ख़ुशबू


तू बसा है मेरी निगाहों में 

तू है नज़रों की मख़मली ख़ुशबू 


तेरी उल्फ़त मेरी इबादत है

इश्क़ से रूह में खिली ख़ुशबू 


रंग लाई है ये दुआ तेरी 

आज दीया को है मिली ख़ुशबू 


©दीप्ति सिंह "दीया"

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टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही सुंदर ग़ज़ल और प्रस्तुति दोनो लाजवाब 💐💐👌👌👌👌👌👌

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    1. हृदय तल से आभार एवं सप्रेम अभिवादन आपका डियर 😊💐💐💐💐

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  2. उत्तर
    1. हृदय तल से आभार एवं सप्रेम अभिवादन आपका आदरणीय 😊🙏🏼💐💐💐💐💐💐

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  3. बेहद खूबसूरत गजल और गायन ❤️🙏

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    1. तहे-दिल से शुक्रिया एवं सप्रेम अभिवादन आपका डियर 😊💐💐💐💐💐💐

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  4. वाह बहुत सुंदर ग़ज़ल, क्या गाया है आपने maam जबरदस्त 🙏🙏👌👌

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    1. हृदय तल से आभार एवं सप्रेम अभिवादन आपका तुषार 😊💐💐💐💐💐💐

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  5. मन सच में संदली हो गया। मखमली ग़ज़ल

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    1. हृदय तल से आभार एवं सप्रेम अभिवादन आपका आदरणीय 😊🙏🏼💐💐💐💐💐💐💐

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  6. उत्तर
    1. हृदय तल से आभार एवं सप्रेम अभिवादन आपका 🙏🏼😊💐💐💐💐💐

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  7. अहा! बहुत ही प्यारी ग़ज़ल दीदी😍

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    1. तहे-दिल से शुक्रिया एवं सस्नेहाभिवादन डियर 😍💐💐💐💐💐💐💐

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