होली आई ©संजीव शुक्ला
होली आयी वन, लता,पत्र में,कुंजन में,
होली आयी खलिहान,पेड़ की डालों में l
पनघट में,,घर में,कुआ, गली चौराहों में,
आज़ाद परिंदों में,..... गेहूँ की बालों में ll
टेसू के उजड़े स्याह कलूटे चेहरे पर,
रंगों के कुछ छींटे पड़ते दिखलाई हैं l
नूतन कोमल सिन्दूरी पुहुप गुलाल भरे,
कहते पलाश ने होली ख़ूब मनाई हैं ll
यौवन की लाज भरी,मुख सिंदूरी आभा,
फागुन की लाली है बेरों के गालों में l
होली आयी वन, लता,पत्र में,कुंजन में,
होली आयी खलिहान पेड़ की डालों में ll
जो थाल भरे हैं खेत कनकमय रंगों की,
मदमस्त झूमते मंद-मंद मस्तानों से l
पक्षीगण हो उन्मुक्त डाल से उतर उतर,
डूबें सोने के रंगों में.......... दीवानों से ll
आमों की बौर सुगंध वादियों में छायी,
चंचल फागुन की हवा बहकती चालों में l
होली आयी वन, लता, पत्र में,कुंजन में,
होली आयी खलिहान पेड़ की डालों में ll
इन सबकी होली देख-देख उन्माद भरी,
गाते मल्हार खेतिहर मन में मुस्काते हैं l
खुश होते देख पसीना अपना श्रमिक बंधु,
होली के स्वागत गीत मधुर धुन गाते हैं ll
टिप्पा, राई, कर्मा की.....ऊँची तानों में,
ढोलक,मृदंग की थाप, नगाड़ा तालों में l
होली आयी वन, लता,पत्र में, कुंजन में,
होली आयी खलिहान पेड़ की डालों में ll
©संजीव शुक्ला 'रिक़्त'
अत्यंत मनमोहक एवं उत्कृष्ट गीत सृजन 😍💐💐💐💐💐💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंअद्भुत सर नमन👏👏👏
जवाब देंहटाएंखुश होते अपना देख पसीना श्रमिक बंधु।
जवाब देंहटाएंअद्भुत अद्भुत गीत सर जी 🙏
अत्यंत उत्कृष्ट भावपूर्ण गीत सृजन 👌👌👌🌹🌹🌹🌹🙏🙏
जवाब देंहटाएंअद्भुत अदुत्ये Sirji🙏🙏
जवाब देंहटाएंHappy holi🙏🙏