मुझसे भी बेहतर देखा था ©अंशुमान मिश्र

 तुमने  मेरे   खालीपन  को,

मुझसे भी बेहतर देखा था,


काग़ज़ के कोरेपन को भी,

ग़ज़लों  में पढ़कर देखा था,

टूटी   आशाएंँ    देखी   थीं,

आंँखों  का सागर देखा था,

अच्छे  से अच्छा  देखा था,

बद से भी बदतर देखा था,


भरी हुई, पर खाली दुनिया,

खाली गांँव, शहर देखा था,

खाली  वो थाली देखी थी,

खाली  कोना हर देखा था,

खाली  वो  जेबें  देखी थीं,

खाली खाली घर देखा था,


तुमने  मेरे  खालीपन  को,

मुझसे भी बेहतर देखा था,


-© अंशुमान मिश्र

टिप्पणियाँ

  1. वाह बहुत सुंदर रचना भाई👌👌

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  2. बेहद खूबसूरत एवं भावपूर्ण पंक्तियाँ 💐💐💐💐

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. सुंदर, भावपूर्ण रचना अंशुमान जी..... बधाई... 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺❤❤❤❤❤❤❤

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  5. बेहद खूबसूरत रचना भैया💐💐

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