बरसात की रात ©सरोज गुप्ता
भीगते स्याह उस तरबतर रात में ।
वाह क्या बात थी उस मुलाकात में ।।
बह गया दर्द ए दिल जो हमारा सनम ।
खो गए हम ओ तुम प्यार की बात में ।।
बढ़ गई धड़कने सीने में जोर से ।
गरजे बादल गगन में जो बरसात में ।।
वो तड़पती रही बिजलियाँ जोर से ।
रोशनी घर की गुल हो गई रात में ।।
आसमां जो बरसता रहा मुख्तसर ।
भीगता मन रहा हाथ ले हाथ में ।।
आज फिर खो गई बारिशों में सनम ।
आज तन्हा ये दिल रो रहा याद में ।।
@सरोज गुप्ता
Bahut Sundar ma'am
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया तुषार 🙏🙏💐💐
हटाएंबढ़िया 👌🏼
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशीष जी 🙏🙏💐💐
हटाएंबेहद खूबसूरत बेहद रूमानी 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया आपका दीप्ति बहन 🙏🙏💐💐
हटाएंखूबसूरत ग़ज़ल👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया आपका गुंजित 🙏🙏💐💐
हटाएंसादर आभार आपका भाई 🙏🙏💐💐
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