अभी बाकी है ©सरोज गुप्ता
तेरी आँखों की कशिश यार अभी बाकी है ।
दरमियाँ इश्क़ का खुमार अभी बाकी है ।।
तेरे अंदाज़ ए बयां अब भी जान लेती है ।
मुझको लगता है सनम प्यार अभी बाकी है ।।
पेड़ की शाखों पे पत्ते जो खिलखिलाते हैं ।
वो बता देते हैं बहार अभी बाकी है ।।
भोर की सुरमई ओ सांझ की सुकूँ कहती ।
सरसराती चली बयार अभी बाकी है ।।
घर में ढूँढो खुशी महफ़िल को सजाने वालों ।
तेरे कूचे में तबस्सुम हज़ार बाकी है ।।
जिंदगी मौज से जी लो जो मिली है यारों ।
क्या पता साँसों में बस साँसें चार बाकी है ।
© सरोज गुप्ता
बहुत जबरदस्त मैम
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया आपका रानी 🙏🙏💐💐
हटाएंबस सांसे चार बाकी है..क्या कहने, बेहतरीन ग़ज़ल👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका गुंजित 🙏🙏💐💐
हटाएंलाजवाब 🙏🏻
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आपका आशीष जी 🙏🙏💐💐
हटाएंबेहतरीन मैम 👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका सूर्यम जी 🙏🙏💐💐
हटाएंबेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 👏👏👏🙏🏼
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया आपका दीप्ति जी 🙏🙏💐💐💐
हटाएंBehad khubsurat ma'am 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका तुषार 🙏🙏💐💐💐
हटाएंबहुत बहुत सुंदर लिखा मैम 👏👏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका आ० 🙏🙏🙏💐💐💐
हटाएंखूबसूरत ग़ज़ल 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई 🙏🙏💐💐
हटाएंखूबसूरत गजल मैंम💐💐💐
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया आपका विपिन जी 🙏🙏💐💐
हटाएंबहुत खूब वाह्ह
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया आपका आकांक्षा 🙏🙏💐💐
हटाएंBeautiful
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका रेखा जी 🙏🙏💐💐
हटाएंसाँसे चार बाकी है, क्या बात, खूब
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका सर जी 🙏🙏💐💐
हटाएंबहुत ख़ूब वाह ❤️❤️👌👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका सुचिता डियर 🙏🙏🌹
हटाएंबेहदखूबसूरत गजल वाह्हहहहह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका प्रशांत बेटा 🙏🙏🌹
हटाएंबेहतरीन💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका विपिन जी 🙏🙏🌹
हटाएं