अभी बाकी है ©सरोज गुप्ता

 

तेरी आँखों की कशिश यार अभी बाकी है । 

दरमियाँ इश्क़ का खुमार अभी बाकी है ।। 


तेरे अंदाज़ ए बयां अब भी जान लेती है । 

मुझको लगता है सनम प्यार अभी बाकी है ।। 


पेड़ की शाखों पे पत्ते जो खिलखिलाते हैं । 

वो बता देते हैं बहार अभी बाकी है ।। 


भोर की सुरमई ओ सांझ की सुकूँ कहती । 

सरसराती चली बयार अभी बाकी है ।। 


घर में ढूँढो खुशी महफ़िल को सजाने वालों ।

तेरे कूचे में तबस्सुम हज़ार बाकी है ।। 


जिंदगी मौज से जी लो जो मिली है यारों । 

क्या पता साँसों में बस साँसें चार बाकी है । 

   © सरोज गुप्ता

टिप्पणियाँ

  1. बस सांसे चार बाकी है..क्या कहने, बेहतरीन ग़ज़ल👏👏

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  2. बेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 👏👏👏🙏🏼

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  3. बहुत बहुत सुंदर लिखा मैम 👏👏🙏

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  4. साँसे चार बाकी है, क्या बात, खूब

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