दोहा ©ऋषभ दिव्येन्द्र
बदले-बदले लग रहे, सर्दी के सन्देश।
मकर राशि में भानु ने, जबसे किया प्रवेश।।
नाच रही है झूम के, नभ में नवल पतंग।
मनभावन मन मोहती, मनवा हुआ मलंग।।
नीचे सरसो खिल रही, ऊपर दिखे पतंग।
मन मेरा ये बावरा, उड़े हवा के संग।।
भाँति-भाँति के रंग में, रंग गया है व्योम।
पावन प्रेम पतंग-सा, पुलकित होता रोम।।
प्राण डोर जिससे बँधा, ज्ञात न उसका छोर।
भटक रहा बन बावरा मन पे किसका जोर।।
मैं रजनी की कालिमा, तुम हो भावन भोर।
मैं पतंग तुम डोर हो, ले जाओ जिस ओर।।
जीवन में मिलता रहे, नित-नित नव उल्लास।
आशाओं की डोर से, पले जगत विश्वास।।
– –©ऋषभ दिव्येन्द्र
अत्यंत सुंदर दोहावली🙏
जवाब देंहटाएंमनभावन दोहावली 🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना 👏
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहावली!अनुप्रास का सौष्ठव तो देखते ही बनता है!👏🏻
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं मनमोहक दोहावली 💐
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