ग़ज़ल ©संजीव शुक्ला

 


वो जिससे दुआओं में,मन्नत में असर आया l

गुमनाम सितारा था टूटा तो नज़र आया l


जुगनू की टिम टिम सा बारिश की रिमझिम सा....

मायूस हुईं आँखें ,पलकों में उतर आया l


यादों में शरारत का शोखी का कोई लम्हा..

इक रेख हंसी की ले होठों पे बिखर आया l


तारों की टोली ले..माझी का कोई मंजर...

जब जब नींदें रूठीं, सपने ले कर आया l


माझी की किताबों के पन्ने ज़ब-ज़ब पलटे...

धुंधला सा अक्स कोई हर्फों में उभर आया l 


©संजीव शुक्ला रिक्त

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