ग़ज़ल ©संजीव शुक्ला
वो जिससे दुआओं में,मन्नत में असर आया l
गुमनाम सितारा था टूटा तो नज़र आया l
जुगनू की टिम टिम सा बारिश की रिमझिम सा....
मायूस हुईं आँखें ,पलकों में उतर आया l
यादों में शरारत का शोखी का कोई लम्हा..
इक रेख हंसी की ले होठों पे बिखर आया l
तारों की टोली ले..माझी का कोई मंजर...
जब जब नींदें रूठीं, सपने ले कर आया l
माझी की किताबों के पन्ने ज़ब-ज़ब पलटे...
धुंधला सा अक्स कोई हर्फों में उभर आया l
©संजीव शुक्ला रिक्त
बेहद उम्दा ग़ज़ल सरजी🙏🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन मर्मस्पर्शी गज़ल 💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल भाई
जवाब देंहटाएंक्या ग़ज़ल हुई है सर। गुमनाम सितारा था, टूटा तो नज़र आया🙏🙏वाहहहहह
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा भावपूर्ण ग़ज़ल सर💐
जवाब देंहटाएंअहा....वाहहहह वाहहहह वाहहहह बेहतरीन ग़ज़ल सर जी 🙏🍃
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