गीत- साँवरे न आए ©गुंजित जैन

 नमन, माँ शारदे

नमन, लेखनी

दिन- मंगलवार

दिनांक- 18/03/2024

विधा- गीत

आधार छंद - कुंडल (सम मात्रिक )

चरण - 4 (दो -दो, या चारों चरण सम तुकांत )

मात्रा -22

यति - 12,10

यति के पूर्व, एवंम् पश्चात त्रिकल

चरणान्त - SS (गुरु, गुरु )


कृष्ण-नाम प्रेमरोग, शब्द में सजाए,

राधिका सहे वियोग, अश्रु को छिपाए,

ले हिये प्रणय अपार, आस को लगाए,

पंथ ताकती पुकार, साँवरे न आए।


कृष्ण का सदैव ध्यान, राधिका लगाती,

अन्य विश्व के विधान, सर्वदा भुलाती,

शून्य भाव ले प्रकर्ष, 'कृष्ण-कृष्ण' ध्याती,

बीतते अनेक वर्ष, श्याम को न पाती,

शून्य हो रहे विचार, चित्त में बसाए,

पंथ ताकती पुकार, साँवरे न आए।


स्मरण सुरम्य तान, बाँसुरी बजैया,

खोजती निशा-विहान, प्राण नंद-छैया,

सर्वदा समस्त भाव, में रहे कन्हैया,

झेल ना सके बहाव, नैन नाम नैया,

मेघ तुल्य अश्रु धार, नैन से बहाए,

पंथ ताकती पुकार, साँवरे न आए।


वक्ष में लिए विषाद, हर्ष को बिसारी,

गूँजती रही निनाद, ले गुहार भारी,

पावनी विशुद्ध प्रीत, पूजती मुरारी,

जीतने अनंतजीत, जग समस्त हारी,

श्वास, प्राण को बिसार, कृष्ण को बुलाए,

पंथ ताकती पुकार, साँवरे न आए।

©गुंजित जैन

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