पुरुष ©सरोज गुप्ता
पुरुष को पुरुषार्थ से ना जानिये,
कष्ट होता है उसे भी मानिये ।
एक अस्फुट भाव ले मन में रहे,
प्रस्फुटित उसको है करना, ठानिये ।।
है बना यदि वो चरित्र, विचित्र सा,
रह ना जाये मात्र वो इक चित्र सा ।
कुछ करो वो खिल उठे बनके कमल,
महक जाये घर औ आँगन इत्र सा ।।
पति पिता,भाई बना घर का क्षितिज,
दायित्व धर कर रह न जाये वो तृषित ।
प्रेरित करें कुछ इस तरह खुल कर हॅंसे,
गुनगुनायें हम सभी संग हो मुदित ।।
नारी है जननी, तो नर भी है जनक,
नारी आभूषण है यदि, नर है कनक ।
दिल से करें आभार हर पुरुषार्थ का,
गूॅंजे फिर चॅंहु ओर खुशियों की खनक ।।
©सरोज गुप्ता
धन्यवाद तुषार 🙏 🌺
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी सृजन 💐💐💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार डियर 🙏🌺
हटाएंअति सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका 🙏🌺
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना🙏नमन
जवाब देंहटाएंअद्भुत सृजन मैम 👏✨🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं