पुरुष ©सरोज गुप्ता

पुरुष को पुरुषार्थ से ना जानिये, 

कष्ट होता है उसे भी मानिये । 

एक अस्फुट भाव ले मन में रहे, 

प्रस्फुटित उसको है करना, ठानिये ।। 


है बना यदि वो चरित्र, विचित्र सा, 

रह ना जाये मात्र वो इक चित्र सा । 

कुछ करो वो खिल उठे बनके कमल, 

महक जाये घर औ आँगन इत्र सा ।। 


पति पिता,भाई बना घर का क्षितिज, 

दायित्व धर कर रह न जाये वो तृषित । 

प्रेरित करें कुछ इस तरह खुल कर हॅंसे, 

गुनगुनायें हम सभी संग हो मुदित ।। 


नारी है जननी, तो नर भी है जनक, 

नारी आभूषण है यदि, नर है कनक । 

दिल से करें आभार हर पुरुषार्थ का, 

गूॅंजे फिर चॅंहु ओर खुशियों की खनक ।। 

©सरोज गुप्ता

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी सृजन 💐💐💐

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