मौत © विपिन बहार
जिंदगी से हारना भी मौत है ।
मौत को यूँ चाहना भी मौत है ।।
बंद कमरे ,बंद घड़िया कह रही ।
दर्द को यूँ काटना भी मौत है ।।
बढ़ रही है जमघटो में त्रासदी ।
साथ खुशियां बाटना भी मौत है ।।
शक किया बस शक किया है आज-तक ।
प्यार को यूँ मापना भी मौत है ।।
चाल बाजों का जहाँ है ऐ मियाँ ।
झूठ खुद पर लादना भी मौत है ।।
जिंदगी में बात ये अब गाँठ लो ।
आरजू का काँपना भी मौत है ।।
© विपिन"बहार"
Bahut Sundar Bhaiya ji 👌👌
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हटाएंबहुत उम्दा👌
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हटाएंलाजबाब 👌🏻
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हटाएंबेहतरीन गज़ल 👌👌👌
जवाब देंहटाएं👏👏👏
हटाएंबेहद गहन भाव लिए गज़ल 👌👌👌👏👏👏🙏
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