मौत © विपिन बहार


  जिंदगी से हारना भी मौत है ।

मौत को यूँ चाहना भी मौत है ।।


बंद कमरे ,बंद घड़िया कह रही ।

दर्द को यूँ काटना भी मौत है ।।


बढ़ रही है जमघटो में त्रासदी ।

साथ खुशियां बाटना भी मौत है ।।


शक किया बस शक किया है आज-तक ।

प्यार को यूँ मापना भी मौत है ।।


चाल बाजों का जहाँ है ऐ मियाँ ।

झूठ खुद पर लादना भी मौत है ।।


जिंदगी में बात ये अब गाँठ लो ।

आरजू का काँपना भी मौत है ।।


© विपिन"बहार"


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