अवसाद ! ©मानवेन्द्र सिंह
क्या है अवसाद,
मन की पीड़ा,
या फिर,
कुछ मन का न हो पाने की तड़प,
क्या है अवसाद,
ज्ञान का अभाव,
या जल्द हार मान लेने की समस्या,
क्या है अवसाद,
हर काम को
चुटकियों में सफल बनाने की ललक,
या फिर,
मैं ही श्रेष्ठ का दम्भ,
हार को स्वीकार न कर पाना,
क्या ये है अवसाद,
अवसाद मन की कोई वेदना है, या
शारीरिक हार्मोन का कोई खेल
जिसे इंसान समझ नही पाता, और
उलझ जाता है एक गहरे भँवर में
उसी में ही फँस जाता है,जैसे
कोई मकड़ी जालबुन कर,अपने
शिकार को मार देती है।।
जरूरत है आपको संवाद की,
अंतरात्मा से वाद विवाद की,
एक हार से विचलित न होने की,
अध्यात्म से आत्मसात होने की,
अवसाद स्वयं से दर्शन का साधन है,
जरूरत है जीवन का,
अकेले में रहकर,
स्वयं को सम्पूर्ण करने का,
अवसाद में ही तो भाव प्रकट होते है,
इंसान सबकुछ पन्नो पर उगल कर,
मन की पीड़ा को शांत कर लेता है,
और एक नए खोज में निकल कर,
अपने को पुनर्जीवित कर लेता है।।
©मानवेन्द्र सिंह
ह्रदयस्पर्शी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भैया
हटाएंवाकई... वर्तमान समयानुसार।👏👏👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दीदी
हटाएंभावपूर्ण
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भई 😊
हटाएंसंवेदनशील एवं मर्मस्पर्शी रचना 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंBahut khoob Bhaiya 😍
जवाब देंहटाएंBahut khoob 👌
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