ज़रूरी था ©सुचिता
गुले- रूखसार खिलना भी ज़रूरी था ।।
कड़ी थी धूप जलना भी ज़रूरी था ।।
किनारों पे फ़क़त चलते भी तो कब तक ..
समुन्दर में उतरना भी ज़रूरी था ।।
फ़सानो के सराबों में रहें उलझे ..
कोई मकतूब लिखना भी ज़रूरी था ।।
तुझे यूँ याद करके थक गया है दिल..
कभी तो तेरा मिलना भी ज़रूरी था ।।
ख़ुदाओं की निहायत बस्तियों में इन...
कोई इंसान दिखना भी ज़रूरी था ।।
ग़मों का बोझ कुछ मिन्हा हो जाता,इक ...
ग़ज़ल शादाब कहना भी ज़रूरी था ।।
@succhiii
Gazab Didi 😍😍
जवाब देंहटाएंबढि़या 👌🏼👌🏼
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आशीष जी 💐
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