उसकी मोहब्बत ©सम्प्रीति

 नमन मां शारदे 

नमन लेखनी



उसके दिए हर ज़ख्म पर मरहम लगाती उसकी मोहब्बत,

हाथ थामे साथ मेरा हरदम निभाती उसकी मोहब्बत।


मेरे हिस्से के गम लेकर अपने हिस्से,

हमेशा खुशियां मेरे हिस्से सजाती उसकी मोहब्बत।


आगोश में उसके सब सही सा लगता है,

मुझे मुझसा महसूस कराती उसकी मोहब्बत।


बातों में उसकी सुकून का सहारा है,

हर पल ये अहसास कराती उसकी मोहब्बत।


उसका साथ जैसे कोई गहना सा है,

लगाकर गले फिर मुझे सजाती उसकी मोहब्बत।


छूअन उसकी मंदिर की पवित्र हवा सी है,

छूकर मुझे फिर करीब ले आती उसकी मोहब्बत।


विश्वास दिलाना, विश्वास कमाना एक तरफ है 'प्रीत',

मुझे मुझपर हर रोज यकीन दिलाती उसकी मोहब्बत।

©सम्प्रीति “प्रीत”

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