दोधक छंद- हनुमान ©रजनीश सोनी

वन्दे वागेश्वरी

नमन लेखनी

छंद- दोधक छंद वर्णिक (11वर्ण) 

भगण भगण भगण गुरु गुरु

S I I    S I I    S I I    S S


जै कपि श्रेष्ठ  विलक्षण न्यारे। 

अञ्जनि  नंदन  राम  दुलारे।। 

राम सिया  पद सेवक  सन्ता। 

वीर शिरोमणि  जै हनुमन्ता।। 


लूम   लपेट    पहेटन    हारी। 

वज्र  गदा  हनि  दुष्ट  सँहारी।। 

मूँज जनेउ  सुशोभित  काँधे। 

श्री  हनुमंत  शनिश्चर  साधे।। 


भीम  महा बलशील  लजाने।

गर्व   तिरोहित  हो  पहचाने।। 

श्री  रघुवीर    भरोष   लगाये। 

लाय  सजीवन  प्राण बचाये।। 


सिन्धु फलाँगि गये गढ़ लंका। 

मारि  निशाचर  भूधर  बंका।। 

बाग उजारि अशोक विशोका। 

रावण दंभ  घटे  तिहुँ लोका।। 


सन्न सभा  लखि रामहि दूता। 

बाँधि सके कहँ  तार न बूता।। 

लंक जरो जब जानिन सीता। 

ढाढ़स लागि  भरोष अभीता।। 


आवत  देखि  उमंग समाजा। 

दुर्घट काज  कपीश्वर साजा।। 

राम  सनेह   हिये   लिपटाये। 

सीय  सँदेश  कपीश  बताये।। 


©रजनीश सोनी


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