ग़ज़ल © रश्मि शुक्ल किरण
नेक रहमत खुदा की दुआ बेटियाँ,
नेह की बदलियांँ हैं हवा बेटियाँ।
टूटता हौंसला जब कभी देखती,
हौसला बन खड़ी हैं सदा बेटियाँ।
मुस्कुराते हुए ही मिली हैं सदा,
दर्द लेती सभी हैं छुपा बेटियाँ।
है कदम जो बढ़ाया बढ़ाती गईं,
राह अपनी रही हैं बना बेटियाँ।
रो रहे हैं सभी दूर से देख कर,
माँ पिता ने किया जब विदा बेटियाँ।
लिख रही पढ़ रही सोच बदली हुई,
भाग्य अपना रहीं खुद जगा बेटियाँ।
क्षेत्र कोई नहीं जो अछूता रहा,
नाम अपना रहीं हैं कमा बेटियाँ।
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✍️✍️© रश्मि शुक्ल किरण
बेहद खूबसूरत एवं भावपूर्ण गज़ल 💐
जवाब देंहटाएंसुंदर, भावपूर्ण ग़ज़ल🙏
जवाब देंहटाएंबेटी दिवस पर संजीदा गजल 💐
जवाब देंहटाएंबेटियों पर बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण गज़ल
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