लेखनी परिवार ©सरोज गुप्ता
लेखनी शब्द है, लेखनी सार है।
लेखनी भावनाओं का आकार है।
भाव मन के समर्पित करे पृष्ठ को,
लेखनी अपने लेखन का आधार है।।
छंद दोहा सवैया गज़ल गीत में,
शब्द शृंगार कर बोलते प्रीत में।
गुनगुनाने लगे शून्य भी श्वास ले
भाव सजधज के आये जो संगीत में।
मौन को तोड़ कर वार्ता जो करे,
ऐसी अभिव्यक्ति का एक संचार है।।
सीखते हैं यहाँ और सिखाते भी हैं,
भावों को शिल्प से हम सजाते भी हैं।
नित नई इक वधू रूपी कविता से हम
एक दूजे का परिचय कराते भी हैं।
शब्द को पूजते जो यहाँ ईश सम
ऐसे ही पूज्य वृंदों का संसार है।।
©सरोज गुप्ता
शब्द को पूजते जो यहाँ ईश सम, ऐसे ही पूज्य वृंदों का संसार है...❤️🙏अत्यंत मनहर गीत मैम। सटीक लिखा है।
जवाब देंहटाएंस्नेहिल आभार आपका गुंजित बेटा 🙏🌹
हटाएंबहुत ही सुन्दर और मनोरम गीत
जवाब देंहटाएंस्नेहिल आभार बिटिया रानी 🙏🌹
हटाएंसादर आभार लेखनी 🙏🌹
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं सार्थक गीत सृजन दीदी 💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद आपका डियर 🙏🌹❣️
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