मुहब्बत हो ही जाती है ©दीप्ति सिंह
जो तुमसे बात होती है, मुहब्बत हो ही जाती है ।
हसीं शुरुआत होती है,मुहब्बत हो जाती है ।
हमारी फिक़्र है तुमको, बयाँ करती हैं नज़रें भी,
दुआ दिन-रात होती है, मुहब्बत हो ही जाती है ।
भिगोया है हमारी रूह को, भी इश्क़ नें तेरे,
जो अब बरसात होती है, मुहब्बत हो ही जाती है ।
हमें महसूस होती है, मुहब्बत की वही ख़ुशबू,
जो महकी रात होती है, मुहब्बत हो ही जाती है ।
तेरे होने से रौशन है,मेरी दुनियाँ मुहब्बत की,
मिली सौगात होती है, मुहब्बत हो ही जाती है ।
मुहब्बत करने वालों का,कोई मज़हब नहीं होता,
जुदा ये ज़ात होती है, मुहब्बत हो ही जाती है ।
छुपा सकती नहीं 'दीया', कभी जज़्बात को अपने,
खुली हर बात होती है, मुहब्बत हो ही जाती है ।
©दीप्ति सिंह 'दीया'
लाजवाब...... बेहतरीन..... जज्बात भरी ग़ज़ल..... वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......
जवाब देंहटाएंतहे-दिल से शुक्रिया आपका प्रशान्त जी 😊💐💐💐💐💐
हटाएंबेहद खूबसूरत ग़ज़ल मैम ✨👏👏👏❣️
जवाब देंहटाएंतहे-दिल से शुक्रिया आपका सूर्यम 😊💐💐💐💐
हटाएंबेहद खूबसूरत गज़ल डियर 👏👏👏🌺🌺
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार आपका दीदी 🙏🏼😊💐💐💐💐
हटाएंउम्दा ग़ज़ल🙏
जवाब देंहटाएंहृदय से धन्यवाद आपका गुंजित 😊💐💐💐💐💐
हटाएंAati sundar gazal ma'am 👌👌
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत गजल डियर❤️💐💐💐💐💐💐
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