वो....खो गई है ©दीप्ति सिंह
विधा-नज़्म
वज़्न- 122 122 122 122
मुतक़ारिब मुस्समन सालिम
वो मासूम लड़की...
कहीं खो गई है ।
जो थी मेरे जैसी...
कहीं खो गई है ।
वो शामें सँवारे...
अगर मुस्कुरा दे ।
निगाहें उठाए...
तो लम्हे सजा दे ।
वो उसकी हँसी भी...
कहीं खो गई है ।
बहुत बचपना था...
बड़ी सादगी थी ।
वो बातों की ख़ुशबू...
बड़ी ताज़गी थी ।
वो ख़ुशबू महकती...
कहीं खो गई है ।
बड़ी चुलबुली थी...
वो लड़की सयानी ।
वो नादान थोड़ी...
ज़रा थी दीवानी ।
वो आवारगी भी...
कहीं खो गई है ।
वो रहती है गुमसुम
हैं ख़ामोश नज़रें ...
लगाए हैं उसने
लबों पे भी पहरे ।
कहानी है जिसकी ...
कहीं खो गई है ।
वो धड़कन थी दिल की...
ये दिल आशना था ।
मेरा काम तो बस...
उसे चाहना था ।
वो उल्फ़त सुनहरी...
कहीं खो गई है ।
वो मदहोशियाों में..
जुनूँ बन गई थी ।
वो बेचैनियों में...
सुकूँ दे रही थी ।
वो लोरी वो थपकी...
कहीं खो गई है ।
हमें आजकल वो...
बहुत याद आए ।
वो आकर ज़हन में...
भी हमको सताए ।
जो है तिश़्नगी सी...
कहीं खो गई है ।
मेरी इल्तिजा है...
कोई ढूँढ लाए ।
कभी रूबरू हो...
जो ख़्वाबों में आए ।
वो थी ज़िंदगी सी...
कहीं खो गई है ।
©दीप्ति सिंह 'दीया'
Beautiful 👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुक्रिया आपका 💐💐💐🙏🏼😊
हटाएंकमाल की नज़्म🙏🙏
जवाब देंहटाएंतहे-दिल से शुक्रिया आपका गुंजित 😊💐💐💐
हटाएंशानदार नज़्म 💐💐
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार आपका 😊🙏🏼💐💐💐
हटाएंबेहद खूबसूरत रचना 💐💐💐💐💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंतहे-दिल से शुक्रिया आपका डियर 😊💐💐💐
हटाएंबहुत सुंदर नज़्म 👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुक्रिया आपका तुषार 💐💐💐😊
हटाएंअतिसुन्दर.. सृजन
जवाब देंहटाएंअतिशय आभार आपका डियर 😊💐💐💐
हटाएंबहुत सुंदर मासुमियत भरी नज़्म है!-जय कुमार सिंह सुखनगर पूर्णिया ❤️
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार एवं सादर प्रणाम पापा 🙏🏼😊💐💐💐💐
हटाएंBahut sundar 👌🏻👌🏻👏🏻👏🏻
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुक्रिया आपका 🙏🏼😊💐💐💐
हटाएंबेहतरीन। अभिनंदन प्रिय सखी दीप्ति जी।💐✍️👌
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार एवं सप्रेम अभिवादन आपका प्रिय माधुरी जी 😊💐💐💐
हटाएंमासूमियत से भरी बेहद खूबसूरत नज़्म 👏👏👏🌺🌺🌺❤❤
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार आपका दीदी 💐💐💐🙏🏼😊
हटाएंबेहद खूबसूरत नज़्म।❤️
जवाब देंहटाएंतहे-दिल से शुक्रिया आपका शुभम 😊💐💐💐
हटाएंमैं तो चकित हूं तुम्हारी यह नज़्म पढ़कर। भावनाओं के उच्छवास को तुमने इतने हौले-हौले सजाया है कि शब्दों के साथ हमारे अन्तर्मन में दृश्य भी साकार होने लगते हैं। लिखती रहो... लिखती रहो। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेहाशीष एवं प्रोत्साहन अमूल्य है मेरे लिए 😊💐💐🙏🏼🙏🏼
हटाएंसादर प्रणाम चाचाजी 💐💐💐🙏🏼