गीत (वतन) ©प्रशान्त
वतन से बिछड़कर वतन याद आया l
गुलों से भरा वो चमन याद आया ll
कमाई की खातिर कहां आ गये हैं l
कहां छोड़ अपना जहां आ गये हैं ll
न बोली, न भाषा, न त्योहार अपने,
भला किसलिये हम यहां आ गये हैं ll
पराई ज़मीं , आसमां भी पराया l
वतन से बिछड़कर................ ll
नए रास्तों की नई मंजिलें हैं l
मगर अब कहां वो हसीं महफ़िलें है ll
बदन है यहां पर , ज़हन है वहां पर,
सफ़र संग करती कई मुश्किलें हैं ll
जहाँ सब था अपना , न कोई किराया l
वतन से बिछड़कर................ ll
जुदाई की रातें , जुदाई भरे दिन l
घड़ी चल रही धड़कनें रोज गिन-गिन ll
क़दम कब रखेंगे वतन की ज़मीं पर,
हमें उस घड़ी की तमन्ना है पल-छिन
मुकद्दर ने कमबख़्त क्या-क्या दिखाया l
वतन से बिछड़कर................ ll
ख़ुदा से दुआ रात-दिन मांगता हूँ l
सुख़नवर वो अपना वतन मांगता हूँ ll
जहां बाप, मां और भाई बहन हैं ,
सनम संग बेटी-मिलन मांगता हूँ ll
वही आशियाना, कभी जो बनाया l
वतन से बिछड़कर................ ll
वतन से बिछड़कर वतन याद आया l
गुलों से भरा वो चमन याद आया ll
© प्रशान्त
Bahut Sundar geet Sirji 👌👏👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद तुषार जी 💐💐😊🙏😊🙏
हटाएंअद्भुत अद्भुत बेहद मर्मस्पर्शी भावपूर्ण 🙏🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका 💐💐😊🙏😊🙏
हटाएंबहुत खूब भाई जी💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विपिन जी 💐💐😊🙏😊🙏
हटाएंअत्यंत उत्कृष्ट एवं गहन संवेदना समेटे हुए हृदयस्पर्शी गीत 🙏🏼🇮🇳💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम💐💐😊😊🙏🙏
हटाएंबहुत बहुत आभार आप सभी का ...💐💐💐🙏🙏🙏😊😊😊
जवाब देंहटाएं👏👏👏
हटाएंहृदयस्पर्शी भावपूर्ण गीत भाई जी👏🙏
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावपूर्ण हृदयस्पर्शी गीत 👏👏👏💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंअहा , बहुत भावुक गीत 🙏🏻
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह.. ग़ज़ल जी 💐
जवाब देंहटाएंशानदार भाईजी
जवाब देंहटाएंअप्रतिम भ्राता श्री....अत्यंत अद्भुत 👏👏👏👏
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