नज़्म-उदासी मुझे ओढ़ती है मुसलसल ©हेमा कांडपाल
पिया तुमसे कहने को जी चाहता है
यूँ सिर को पटकने को जी चाहता है
ये जी चाहता है कि रो लूँ घड़ी भर
तुम्हें कस के भर लूँ मैं बाहों के भीतर
मगर सोचती हूँ कहीं मेरी बातें
कहीं मेरे आँसू कहीं मेरी आहें
न तुमको रुला दें न तुमको सज़ा दें
हैं उखड़ी सी साँसें ये पागल सी बातें
मैं तुमको बताऊँ तो कैसे बताऊँ
कि डरती हूँ तुम कर न पाओ इन्हें हल
उदासी मुझे ओढ़ती है मुसलसल
तुम्हें याद हैं क्या वो गर्मी की रातें
वो बादल पे बुढ़िया वो बचकानी बातें
तिरे कान में जो मुझे था सुनाना
अभी याद आया वो किस्सा पुराना
ठहाकों की नगरी वो बर्फी का ठेला
गुटर गूँ कबूतर की चिड़ियों का मेला
कहाँ हैं मिरे खट्टे आमों की बगिया
वो मुट्ठी में शक्कर वो बातों में गुजिया
तरसती हूँ जाना मैं जिसके लिए बस
है तेरा मनाना वो बातों की लड़ियाँ
ये किस्से बने आज से जो मिरा कल
उदासी मुझे ओढ़ती है मुसलसल
पिया तुम हो उलझे दुःखों के जहाँ में
न दिखती मोहब्बत मुझे आसमाँ में
वो बादल नदारद वो तारे नदारद
वो बर्फ़ीले नीले से घोड़े नदारद
नदारद है एहसास, रातों की बातें
वो नग़्में वो ग़ज़लें वो किस्से नदारद
न मंज़िल है कोई, न ही राह-दाँ ही
न साथी है कोई न ही आसमाँ ही
सो बैठी हूँ घुटनों को मोड़े ज़मीं पर
के रुक सी गई मैं यहीं पर कहीं पर
उदासी मुझे ओढ़ती है मुसलसल
मगर सोचती हूँ जो तुम थाम लेते
ज़रा मेरे दिल को जो आराम देते
के कहते मुझे ओढ़ने को उजाला
ला देते मुझे ओढ़नी या दुशाला
कहा काश होता बढ़ा हाथ आगे
"हिया ! चल!" "हिया! चल" "हिया चल!""हिया चल!"
उदासी मुझे ओढ़ती है मुसलसल
उदासी मुझे ओढ़ती है मुसलसल
© हेमा कांडपाल 'हिया'
Amazing Ma'am 😍👌
जवाब देंहटाएंShukriya Tushar ❤️❤️
हटाएंअति सुंदर👌👌
जवाब देंहटाएंShukriya apka ❤️
हटाएंबेहद खूबसूरत 👌👌👌
जवाब देंहटाएंवाह वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर 👏👌
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत नज़्म 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी कमाल की नज़्म 👌👌❤️
जवाब देंहटाएंखूबसूरत नज़्म 💐
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