याद तो आई ©दीप्ति सिंह

 चलो तुमको बहाने से हमारी याद तो आई

लबों पर नाम आने से हमारी याद तो आई


नज़र भर देखते थे तुम तो हलचल सी मचाते थे

सुकूँ दिल का चुराने से हमारी याद तो आई


हमारी मुस्कुराहट से तुम्हें कितनी मुहब्बत थी

किसी के मुस्कुराने से हमारी याद तो आई


मुहब्बत का यकीं तो है ये दिल फिर भी परेशाँ है 

ये उल्फत आज़माने से हमारी याद तो आई


क़दर तुमको हमारे प्यार की होती नहीं शायद 

हमारे दूर जाने से हमारी याद तो आई


            ©दीप्ति सिंह "दीया"

टिप्पणियाँ

  1. वाह्हहहहहहह .... ख़ूबसूरत ग़ज़ल.... ❤️❤️❤️💐💐💐💐👏👏👏👏

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  2. हृदय तल से आभार आपका आदरणीय 🙏😊💐

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