गीत- ज़ाफ़रानी ©संजीव शुक्ला "रिक्त"

नमन, माँ शारदे

नमन,लेखनी 


किसकी मिसाल दे दें  ,कोई न और सानी l 

महका शबाब कोई  , शादाब ज़ाफ़रानी ll


ये सुरमई निगाहें , चंदन शरीक बाहें ,

काली पलक घनेरी , क्या किस तरह सराहें l 

कुदरत जिसे तराशे  , नायाब वो निशानी ll 


दो सुर्ख़ लब तुम्हारे ,दहके हुए शरारे ,

खुशबू घुली रगों में  , गेसू जड़े सितारे l 

ज़ुल्फ़ें बिखर गईं तो ,हैरान रात रानी ll 


चंचल चनाब कोई ,या आफ़ताब कोई ,

लाखों धनक समेटे  ,रंगीन ख़्वाब कोईl

उजली सहर तुम्ही से,हर रात है सुहानी ll


है हर अदा निराली सूरत हसीन आली,

रुख़सार पर शफ़क़ से,उतरी सुफैद लाली  l 

जेसे ख़ुदा फलक पर ,लिख दे ग़ज़ल पुरानी ll

©संजीव शुक्ला "रिक्त"

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