ग़ज़ल ©अंशुमान मिश्र
नमन मां शारदे,
नमन लेखनी।
चल कि सौदा ये फिर किया जाए!
ताकि फिर ठीक से हिसाब आए!
मैं तेरा झूठ तुझको लौटाऊं,
तू मेरा इश्क मुझको लौटाए!
मैं तेरी बेरुखी समझ पाऊं,
तू मेरी बेबसी समझ पाए!
तुझको फिर रोकने को रोऊं मैं,
मेरे अश्कों पे तू तरस खाए!
तू मेरी चाह को तवज्जो दे,
तू मेरी हसरतें न दफनाए!
मैं कि फिर जां फना करूं तुझपे,
और तू भी ये काम दोह'राए!
कर लूं फिर से यकीन मैं तुझ पर,
तोड़ कर तू यकीं न तड़पाए!
फूल बोऊं जमीन-ए-दिल पर मैं,
इस दफा फूल गर न मुरझाए!
चल कि इक दूसरे से दर बदलें,
रात सोऊं मैं, तू जगे हाए!
चल कि इस बार मैं करूं धोखा,
और तुझको न ये जहां भाए!
चल कि सौदा ये फिर किया जाए!
©अंशुमान मिश्र
उम्दा ग़ज़ल, कमाल❤️
जवाब देंहटाएंअहा...क्या ही बेहतरीन ग़ज़ल हुइ है दद्दा🙏🍃
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल 💐
जवाब देंहटाएंवाह बेहद खूबसूरत ग़ज़ल
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