लालच ©शैव्या मिश्रा

 "रात के दो बजे कौन फोन कर रहा, श्यामली ने गुस्से से बड़ बड़ाते हुए अपने मोबाइल की स्क्रीन पे देखा, " "मृणालिनी दी", तमाम आशंकाओं से उसका दिल तेज़ी से धड़क उठा, पता नही क्या बात हो.. 

फोन कट चुका था, श्यामली ने भगवान को याद करते हुए फोन मिलाया. 

" हैलो, श्यामली सो गयी थी क्या? "

"और रात को तीन बजे क्या करूँगी दी, " श्यामली ने संयत स्वर मे कहा, दी की आवाज़ से उसे लगा नहीं कोई अनहोनी हुई हो.

"सॉरी श्यामली, अभी तक मुझे अमेरिका और इंडिया के टाइम का अंतर याद नहीं रहता, पर बात ही कुछ ऐसी है कि मुझे तुझे फोन करना ही पड़ा, सुन तुझे माया आंटी याद हैं? "

"माया आंटी, हाँ उन्हे हम कैसे भूल सकते हैं, क्या हुआ उन्हे? " मैंने पूछा.

श्यामली माया आंटी की तबियत काफी खराब है, शायद बस एक या दो दिन की मेहमान हैं, तुझे याद कर रही."

दी ने रुक रुक कर कहा.

"मुझे क्यों याद कर रहीं इतने सालों बाद, उनका मुझसे क्या लेना दी? "मैंने थोड़ा हैरान होते हुए कहा.

" श्यामली, तुझे याद नहीं बचपन वो तुझे कितना चाहती थी? और माँ के मना करने पर भी, तू अक्सर उनके घर भाग जाती, और फिर माँ तेरी ढंग से खबर .... 

"दी इत्ती रात को तुमने मुझे ये सब याद दिलाने के लिए फोन किया है?" श्यामली की आवाज़ सुन कर उसके पति केशव भी जाग चुके थे और पास खड़े उन दोनो की बात सुन रहे थे.

"श्यामली, वो बीमार है और मरने से पहले तुझे देखना चाहती हैं, किसी की अंतिम इच्छा पूरी करना पुण्य.. 

" दी, आज तुमको उनकी अंतिम इच्छा की बड़ी चिंता हो रही, वैसे तो तुम उनसे इतनी नफरत करती हो, और मेरी वो क्या लगती है, की मै अमेरिका से इंडिया उनसे मिलने जाऊँ? " श्यामली ने दी की बात काटते हुए कहा. 

"श्यामली, जो कुछ भी हुआ उसे मैं भूली नहीं हूँ, लेकिन सच कहूँ तो कभी कभी लगता है वो बेचारी इतनी भी गलत नहीं थी, जितना उसको दुनिया ने बना दिया था. खैर जो भी हो श्यामली तू कल की फ्लाइट से ही इंडिया आ जा. समय बहोत कम है."

"लेकिन दी, लास्ट मिनट की फ्लाइट कीतनी मेंहगी होगी, मुझे समझ नहीं आ रहा तुम मुझे इतना फोर्स क्यों कर रही? "

"क्योंकि श्यामली उन्होंने अपनी सारी प्रोपर्टी तुम्हारे नाम कर दी है दी ने तल्ख स्वर मे कहा.. और तुम्हे उनसे लगाव हो ना हो, उनकी करोड़ो की प्रोपर्टी से होना चाहिए. " कह कर उन्होंने फोन रख दिया.

दो पल को तो उसे विश्वास ही ना हुआ, आख़िर माया आंटी ने ऐसा क्यों किया.फिर उनकी आलीशान हवेली याद कर के मेरा मन मयूर नाच उठा

श्यामली ने केशव को बताया की कैसे माया आंटी ने अपनी करोड़ो की संपति उसके नाम कर दी है, और अपनी अंतिम साँसे गिन रही हैं.

श्यामली ने केशव से उसके साथ इंडिया चलने को कहा. केशव ने कुछ सोच कर अगली सुबह के दो टिकेट बुक करने के लिए अपना लैपटॉप ऑन किया, टिकट बुक करते करते उसने पूछा, "बाकी सबकुछ तो ठीक है, पर ये तो बताओ ये माया आंटी है कौन? "

श्यामली के कानों मे माँ की आवाज़ गूँज उठी और उसने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा," डायन है माया आंटी "

केशव ने उसे नज़र उठा के देखा फ़िर लैपटॉप मे नज़रे गड़ा के पूछा, "अगर डायन इतना पैसा दे रही है तो वो डायन नही देवी हुई पगली" कह कर केशव हंस पड़े, श्यमाली को सोच मे डूबा देख केशव ने उसे ज़्यादा परेशान करना ठीक  नहीं समझा। वैसे भी पिछले कुछ समय से केशव और श्यामली मे का रिश्ता बुरे दौर से गुज़र रहा था, जहाँ श्यामली केशव से अपनी 3 साल की बेटी रिया की वजह से निभा रही थी वही केशव अलुमिनि देने के डर से श्यामली को तलाक़ नही दे पा रहा था। किंतु अब इस 50 करोड़ की प्रोपर्टी ने उसे श्यामली के साथ रिश्ते निभाने पर विवश कर दिया था। उसे अब किसी भी हालत मे श्यामली को अपने शीशे मे उतरना था, सो उसने अपनी आवाज़ मे मधुरता घोलते हुए कहा, "कोई बात नहीं, हम माया ऑन्टी के बारे मे बाद मे बात करेंगे, अभी मै हमारी पैकिंग कर लेता हूँ, इतनी दूर मैं तुम्हे अकेले थोड़ी ना जाने दूंगा। "

अगले दिन फ्लाइट मे श्यामली ने माया आंटी के बारे मे केशव को बताना शुरू किया, " बात उन दिनों की है, जब मै तीन साल की थी, डैड का बिजनेस उन दिनों काफी घाटे मे चल रहा था, इसी वजह से मम्मी से उनके  रोज़ झगड़े होते थे, मम्मी उन दिनों बहोत पीने लगी थी,  मै और दीदी तो मानो बेसहारा से हो गए थे। और घाटे के कारण डैड को अपना सब कुछ बेच कर शिमला वाले छोटे से घर मे आना पड़ा। उन्ही दिनों मम्मी की दोस्ती माया ऑन्टी से हुई। माया ऑन्टी बेहद खूबसूरत थी, लोग कहते थे उनकी असली उमर किसी को नही पता, कोई कहता वो आदमियों की उम्र चूस लेती हैं, और ना जाने क्या क्या. खैर आज सोचती हूँ तो लोगो की सोच पे हंसी आती है। माया ऑन्टी ने बचपन मे ही मुझे अपनी बेटी मान लिया था, मम्मी पापा के गुजरने के बाद उन्होंने ने मेरी और दीदी के सारे खर्चे उठाये, और सोचो आज भी अपना सब कुछ मेरे नाम करना चाहती हैं।" कह कर श्यामली चुप हो गयी और केशव के सीने पे सिर रख कर चुप चाप आँखे बंद कर ली। "

एयरपोर्ट पर माया ऑन्टी की गाड़ी उन्हे लेने आई थी। रिया को चिपकाए श्यामली माया ऑन्टी के घर पहुंची तो देखा माया ऑन्टी बिस्तर पर आँखे बंद किये लेटी हैं, वैसी ही, बेहद खूबसूरत, जैसे उम्र का उनपे कोई असर ही ना हुआ हो। आहट पा कर उन्होंने आँखे खोली, और उठ के बैठने लगी। केशव की आँखे माया ऑन्टी को देख कर चकित रह गयी। श्यामली को उन्होंने गले लगा लिया, "मेरी बच्ची तुझे कितना याद किया मैंने, फिर रिया पास बुला कर गोद मे ले लिया मेरी बिटिया, अब तुझे देख कर मै बिल्कुल अच्छी हो जाऊंगी, कह कर वो हंस पड़ी, एक रहस्यमयी हंसी. श्यामली ने थोड़ा घबरा गयी, उसने केशव की ओर देखा, वो एक टक माया को घूर रहा था, उसकी आँखों मे उसने वही भाव देखे जो पापा की आँखो मे थे जब उन्होंने माया ऑन्टी को देखा था। 

अचानक उसे भूला बिसरा याद आने लगा, कैसे मम्मी ने पापा को माया ऑन्टी से इस लालच मेमिलवाया था कि वो उनके डूबते बिजनेस को सहारा देंगी, और फिर उन्होंने उनके बिजनेस मे काफी मदद भी की। पहले तो सब ठीक था, फिर पापा माया ऑन्टी के करीब आते गए और उन सब से दूर होते गए। माया ने खुद को शराब मे डूबा दिया, माया ऑन्टी उससे प्यार करती थी, श्यामली अक्सर उनके पास भाग जाया करती थी। तब माँ उस पर बहोत गुस्सा करती थी, और कहती "डायन है माया, पहले मेरा पति मुझसे छीन लिया, फिर मेरी बेटी, खबरदार जो तू उसके पास गयी, टाँगे तोड़ दूँगी तेरी। "

" माया ऑन्टी बहोत अच्छी हैं, वो मुझसे प्यार करती हैं, कह कर ,वो माया ऑन्टी से चिपट जाती। 

धीरे धीरे मम्मी को जाने कौन सी बीमारी लगी, वो कमज़ोर पड़ने लगी और  गुज़र गयी। फ़िर पापा ने उसे और उसकी बहन को बोर्डिंग मे भेज दिया। कुछ समय बाद पापा भी चल बसे, कोई नहीं जनता उनको क्या हुआ, कोई कहता बीमार थे, कोई कहता उनकी दिमाग़ी हालत ठीक नही थी। "


वो बस सब कुछ छोड़ कर वहाँ से चली जाना चाहती थी। उसने रिया का हाथ पकडा और उठ खड़ी हुई, पर दो कदम चलते ही बेहोश हो गयी। 

काफी  देर बाद उसे होश आया तो उसने अपने आप को माया ऑन्टी के बेड मे लेटा पाया। 

उसने देखा माया ऑन्टी रिया को गोद मे लिए हैं और उनका एक हाथ केशव ने थाम रखा है। ये देख कर वो चीखने लगी, "रिया मेरे पास आ,बेटी। "

रिया माया से चिपकते हुए बोली, नहीं मम्मा, ऑन्टी मुझसे बहोत प्यार करती है, मुझे चॉकलेट भी दी! "

श्यामली ने उठने की कोशिश की, पर कमज़ोरी से उठ ना सकी, उसके कानों मे माँ की बेबस आवाज़ गुजने लगी, माया ऑन्टी डायन है, वो तुझे भी खा जायेगी। 

उसकी आँखो से दो बूंद आँसू ढुलक गए, पश्चताप के आँसू, जिस लालच ने कई साल पहले उसकी माँ को निगल लिया था, उसी लालच की वो आज बलि चढ़ गयी थी। "

(समाप्त)

             © शैव्या मिश्रा

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामस्तुति !! ©सूर्यम मिश्र

समय-सिंधु ©अंशुमान मिश्र

तुम आना... © तुषार पाठक

गीत- ज़ाफ़रानी ©संजीव शुक्ला "रिक्त"