गीत ©सरोज गुप्ता
जय जय जय महिषासुर मर्दिनी
रूप अनूप देखाई ।
कइस बखान करुअ मैं मूरख
सबद मिलत नहिं माई ।।
कंचन वरन, नयन अनुरंजित
ओंठ पुहुप मुस्काई,
कानन कुंडल, नथ नकुनन मा
मांग सिंदूर लगाई ।।
शंख गदा तिरसूल लिए माँ
घातक बन ललकारी,
सिंह चढ़े रजनीचर मारे
कोप भरहिं फुफकारी ।।
वासर रयन दिवस पखवाड़े
विनती करूँ तोहारी,
करहुँ कृपा अब मात भवानी,
कष्ट हरो महतारी ।।
अहा!!! अति सुंदर एवं सुमधुर स्तुति 🙏🏼💐
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद डियर 🙏🌹
हटाएंवाह बहुत सुंदर स्तुति💐
जवाब देंहटाएंजय माँ दुर्गा🙏
धन्यवाद बेटा 🙏🌹❣️
हटाएंसुंदर, स्तुति 🙏
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद भाई 🙏🌹
हटाएंसुन्दर स्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद डियर 🙏🌹❣️
हटाएंमनभावन, स्तुत्य माता स्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद बेटा 🙏🌹
हटाएंबहुत सुन्दर गीत maam🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद बेटा 🙏🌹
हटाएंसुन्दर गीत मैंम 🙏🍃
जवाब देंहटाएं