गीत- श्रीकृष्ण ©रानी श्री
नमन, माँ शारदे
नमन, लेखनी
सदा मटकी फोड़ जाए,
वस्त्र ग्वालिन के चुराए,
गोपियों के संग कान्हा,
रास कैसा यह रचाए।
रास रचते हैं लुभावन।
आ गए हैं देखो मोहन।
पंख मस्तक पर लगाए,
बाँसुरी सुंदर बजाए,
बैठ यमुना के किनारे,
श्यामसुंदर मुस्कुराए।
हो रही है मधुर गुंजन,
आ गए हैं देखो मोहन
छुपके-से माखन को खाए,
माँ यशोदा को सताए,
हैं सभी लीलाएँ नटखट,
तभी लीलाधर कहाए।
संग ले मासूम बचपन,
आ गए देखो हैं मोहन।
कंस का वह काल लाए,
तर्जनी पर गिरि उठाए,
दीनबंधु बने हैं कान्हा,
भक्त को दुख से बचाए।
बने रक्षक नंदनंदन,
आ गए हैं देखो मोहन।
आस्था हिय में जगाए,
मुख में रखते जग समाए,
अति ललित मुस्कान धरकर,
राधिका जी संग आए।
है प्रफुल्लित देख यह मन,
आ गए हैं देखो मोहन।
©रानी श्री
अति सुंदर एवं मनमोहक गीत सृजन 💐
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंसुंदर,मनहर गीत रचना🌹🌹
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंअत्यंत भावपूर्ण गीत
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण गीत बेटा 👌👌👌❣️❣️❣️
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