नारियल! ©सौम्या शर्मा
वह नारियल!
भीतर तरल!
आवरण कठोर!
अन्तर निर्मल!
छद्मावरण जग के लिए!
कंटक बिछे पग के लिए!
संसार उसे निष्ठुर कहता!
करूणा उदधि मन में रहता!
है ज्ञात यह यदि कह दिया!
है हास्य को संसार यह!
सब कुछ छिपाए स्वयं में!
रहता अडिग हर बार वह!
वह नारियल!
भीतर तरल!
आवरण कठोर!
अन्तर निर्मल!
वह नारियल!
©सौम्या शर्मा
बहुत सुंदर भावपूर्ण 👌👌👌🌺🌺
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं सटीक 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .....वाह्ह्ह्ह्ह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .....वाह्ह्ह्ह्ह 👌👌
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