माँ ©विपिन बहार

 माँ के चरणों में मिलें,मुझकों चारों धाम ।

माँ ही मेरी है सुबह, माँ ही मेरी शाम ।।


नैनों से आसूँ बहे ,जीवन लगता ख़ार ।

माँ तुझ बिन कुछ भी नही,मेरा यह घर बार ।।


तन मेरा तपता रहा,पर माँ सहती घात ।

माँ तो रोती ही रही,जगकर सारी रात ।।


कंधों पर चलता रहा,घर का सारा भार ।

माँ ही मेरी जीवनी,माँ ही मेरा सार ।।


        ©विपिन बहार

टिप्पणियाँ

  1. बहुत बहुत सुंदर👌👌
    माँ को समर्पित रचना 🙏🙏

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  2. बहुत खूबसूरत.....

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  3. वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.... उत्कृष्ट भावपूर्ण दोहे....

    माँ तो रोती ही रही, जगकर सारी रात l
    🌺🌺🌺🌺❤❤❤❤❤👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  4. अत्यंत भावपूर्ण उत्कृष्ट दोहे 👏👏👏🙏🙏🙏🌺🌺🌺

    जवाब देंहटाएं
  5. अत्यंत उत्कृष्ट भावपूर्ण दोहे, अद्भुत भ्राता श्री 👏🙏

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  6. अति सुंदर एवं भावपूर्ण दोहावली 💐💐💐💐

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