माँ ©विपिन बहार
माँ के चरणों में मिलें,मुझकों चारों धाम ।
माँ ही मेरी है सुबह, माँ ही मेरी शाम ।।
नैनों से आसूँ बहे ,जीवन लगता ख़ार ।
माँ तुझ बिन कुछ भी नही,मेरा यह घर बार ।।
तन मेरा तपता रहा,पर माँ सहती घात ।
माँ तो रोती ही रही,जगकर सारी रात ।।
कंधों पर चलता रहा,घर का सारा भार ।
माँ ही मेरी जीवनी,माँ ही मेरा सार ।।
©विपिन बहार
बहुत बहुत सुंदर👌👌
जवाब देंहटाएंमाँ को समर्पित रचना 🙏🙏
सादर आभार भाई जी👏👏
हटाएंबहुत खूबसूरत.....
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका मैंम👏👏
हटाएंवाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.... उत्कृष्ट भावपूर्ण दोहे....
जवाब देंहटाएंमाँ तो रोती ही रही, जगकर सारी रात l
🌺🌺🌺🌺❤❤❤❤❤👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
आभार भाई जी👏👏👏
हटाएंभावपूर्ण दोहे 💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर👏👏
हटाएंअत्यंत भावपूर्ण उत्कृष्ट दोहे 👏👏👏🙏🙏🙏🌺🌺🌺
जवाब देंहटाएंजी बेहद आभार आपका👏👏
हटाएंअत्यंत उत्कृष्ट भावपूर्ण दोहे, अद्भुत भ्राता श्री 👏🙏
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका👏👏
हटाएंअत्यंत अद्भुत दोहे🙏
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी👏
हटाएंअति सुंदर एवं भावपूर्ण दोहावली 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंजी सादर आभार आपका👏👏👏
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