लव जिहाद ©अनिता सुधीर आख्या

 प्रेम जाल में फाँस कर

फिर तितली पर वार करें


पंखों पर जब पुष्प उगे

सूरज लेने दौड़ी थी

मस्ती ने थैले में फिर

भरी न कोई कौड़ी थी

पदचिन्हों की ताली भी

खुशियों पर अधिकार करे।।


बाज उसाँसे भर-भर कर

झूठे दाने फेंक रहा

मीन फाँस कर मुख में रख

नाम धर्म का सेंक रहा

रक्त सने मासूमों पर

शोषण को हथियार करे।।


तभी सियासी जामे ने

प्रेम गरल का रूप धरा

भीड़ तंत्र ने कुचला जो

प्रीत भाव फिर कूप गिरा

मित्र बना दीपक ही क्यो

जीवन को अंगार करे।।


©अनिता सुधीर आख्या

टिप्पणियाँ

  1. समसामयिक समस्या पर उत्कृष्ट सृजन

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  2. अत्यंत संवेदनशील एवं सटीक सृजन 💐💐🙏🏼

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  3. अत्यंत संवेदनशील समस्या पर उत्कृष्ट सृजन 👏👏💐💐💐🙏🙏

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  4. भावपूर्ण, सार्थक सृजन मैम..... 💐💐💐💐💐💐

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