उठते भाले का शोर सुनो ©गुंजित जैन
हम तुम पर गर्व जताते हैं,
इस दिन को पर्व बताते हैं,
नदियां भी बहने लगती हैं,
यह पर्वत भी मुस्काते हैं।
स्वर्ण लिए जब "नीरज" आए,
लगती खिलती सी भोर सुनो।।
उठते भाले का शोर सुनो।।
जग-संसार प्रफुल्लित करती,
खुशियां सब में शोभित करती,
नवयुवकों के चंचल मन को,
सख्त भुजाएं प्रेरित करती।
मिट्टी में उपजे हीरे के,
इन हाथों का यह ज़ोर सुनो।।
उठते भाले का शोर सुनो।।
करतल ध्वनि का कलरव देखो,
पूर्ण देश में उत्सव देखो,
देख तिरंगा सब से ऊंचा,
भारत माँ का गौरव देखो।
हर भारतवासी की रग में,
विजयी चर्चे हर ओर सुनो।।
उठते भाले का शोर सुनो।
© गुंजित जैन
बहुत सुंदर 👌👌👌
जवाब देंहटाएंWaah gazab Bhai ❤️
जवाब देंहटाएंहृदय में उत्साह का संचार करती रचना 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर 👌🏼👌🏼👌🏼
जवाब देंहटाएंवाऽऽह ख़ूब 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर वाह 💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर🙏
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