गजल © विपिन बहार
मौत ये अब खुदा पर टली जा रही ।
जिंदगी जानलेवा चली जा रही ।।
एक ताइर हुई यार यूँ जिंदगी ।
यूँ कफ़स में कही अब पली जा रही ।।
कौन अजमत करें कौन खिदमत करे ।
दूर तक बस यही खलबली जा रही ।।
मखमली दिलरुबा पास आओ जरा ।
आरजू आस की यूँ जली जा रही ।।
देख ले आसमाँ, देख ले कारवाँ ।
बारिशों में कही मनचली जा रही ।।
लोग क्यों मतलबी से लगे है यहाँ ।
बात मुझको यहीं अब खली जा रही ।।
© विपिन"बहार"
💐💐💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल विपिन जी 👏👏👏👏
जवाब देंहटाएंजी आभार मैंम आपका💐
हटाएंWaah 👌👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई जी💐
हटाएंबेहतरीन गज़ल 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार मैंम💐
हटाएंबहुत सुंदर वाह्ह्हह्ह्ह्ह 💐
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया सर आपका💐
हटाएंबहुत सुंदर 🙏
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