गीत- मेरे राम ©ऋषभ दिव्येन्द्र

नमन माँ शारदे

नमन, लेखनी

छंद- चौपाई


विकल चित्त को आस बँधाओ।

मेरे   राम   पुनः   आ   जाओ।।


टूट  रही  डोरी  आशा  की।

बुझती है लौ प्रत्याशा की।।

सून  लगे आँगन-फुलवारी।

लुप्त हुई मन की किलकारी।।

रघुवर! अंतस् कष्ट मिटाओ।

मेरे  राम  पुनः  आ  जाओ।।


महिमा अगम अनन्त तुम्हारी।

नारि  अहिल्या  शबरी  तारी।।

कपि दल के तुम बने सहायक।

सागर  सेतु  बना  सुखदायक।।

मुझ पर नाथ  कृपा  बरसाओ।

मेरे   राम   पुनः   आ   जाओ।।


अपने  ही  घर  से  निर्वासित।

प्राण हुए तन से निष्कासित।।

जन-जन  करते  रहते  क्रीड़ा।

हृदय समाहित अनगिन पीड़ा।।

पीड़ाओं  पर  बाण  चलाओ।

मेरे   राम   पुनः   आ   जाओ।।


© ऋषभ दिव्येन्द्र

टिप्पणियाँ

  1. मेरे राम पुनः आ जाओ... अत्यंत स्तुत्य, लयबद्ध, छंदबद्ध गीत🙏

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  2. अत्यंत सार्थक, अत्युत्तम छंदबद्ध सृजन 😇🌹🌹

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  3. लेखनी मंच का हृदय से आभार 🤗🙏

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  4. अत्यंत उत्कृष्ट लेखन। भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई अनुज।

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