गीत- कान्हा ©सौम्या शर्मा

नमन, माँ शारदे

नमन, लेखनी



तेरी श्यामल छवि का क्या कहना।

कान्हा आ खेलो मोरे अँगना।।


वंशीधर की लीला न्यारी,

मनमोहक मुस्कान है प्यारी,

तूने मोह लियो सगरे जग ना।


रास रचावैं कृष्ण रसाला,

माखन खावै नन्द को लाला,

ओ रूनझुन बाजे पायल कँगना।


लीला तुम्हरी सबसे न्यारी,

बांकी चितवन है गिरधारी,

हाँ! दर्शन दो प्रभु मानो कहना।


तेरी श्यामल छवि का क्या कहना।

कान्हा आ खेलो मोरे अंगना।।

©सौम्या शर्मा




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