गीत- कान्हा ©सौम्या शर्मा
नमन, माँ शारदे
नमन, लेखनी
तेरी श्यामल छवि का क्या कहना।
कान्हा आ खेलो मोरे अँगना।।
वंशीधर की लीला न्यारी,
मनमोहक मुस्कान है प्यारी,
तूने मोह लियो सगरे जग ना।
रास रचावैं कृष्ण रसाला,
माखन खावै नन्द को लाला,
ओ रूनझुन बाजे पायल कँगना।
लीला तुम्हरी सबसे न्यारी,
बांकी चितवन है गिरधारी,
हाँ! दर्शन दो प्रभु मानो कहना।
तेरी श्यामल छवि का क्या कहना।
कान्हा आ खेलो मोरे अंगना।।
©सौम्या शर्मा
अत्यंत मनभावन🙏🙏
जवाब देंहटाएंअत्यंत मनमोहक गीत दीदी, नमन 🙏🍃
जवाब देंहटाएंअत्यन्त ही सुन्दर गीत 👏👏
जवाब देंहटाएंअत्यंत मनमोहक एवं सरस गीत 💐🙏🏼
जवाब देंहटाएं