मुनि शेखर छंद- श्री कृष्ण ©संजीव शुक्ला "रिक्त"

नमन, माँ शारदे

नमन, लेखनी 


छंद- मुनि शेखर छंद

वर्णिक छंद (वर्णवृत)।

चरण- ४

वर्ण - २०

मात्रा - २८

गणक्रम- सगण,जगण,जगण,भगण,रगण,सगण, लघु गुरु 

दो-दो चरण समतुकांत

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सत आन धर्म निशान वेद पुरान शाश्वत ज्ञान हैं ।

 छवि ध्यान चंद्र समान मोहन चित्त जीवन प्रान हैं ।

अभिमान का अवसान निर्मल ज्ञान का अवधान हैं ।

गुण ज्ञान रूप निधान कष्ट निदान प्रेम प्रधान हैं ।


चहुँ ओर भीषण शोर चित्त हिलोर संकट घोर हैं ।

अरि जोर निश्चर खोर यामिनि भोर कष्ट कठोर हैं ।

सिर मोर माखन चोर भाव विभोर नैन चकोर हैं ।

प्रभु नेग दृष्टि बहोर कातर सिक्त लोचन कोर हैं  ।

©संजीव शुक्ला "रिक्त"

टिप्पणियाँ

  1. अहा, अहा🙏 अत्युत्तम छंदबद्ध स्तुति सर।
    अन्त्यानुप्रास ने लालित्य कई, कई गुना बढ़ा दिया।
    अद्भुत🙏
    श्री कृष्ण🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. अहा अत्यंत सुंदर अलंकृत मुनिशेखर छंद सृजन सर जी 🙏🍃

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह, अनुपम और अप्रतिम रचना आदरणीय सर जी 👏👏👌👌🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. अत्यंत उत्कृष्ट एवं प्रभावशाली छंद सृजन 💐🙏🏼

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर छन्द सरजी👌
    नमन
    जय श्री कृष्णा 🙏

    जवाब देंहटाएं

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