ग़ज़ल ©दीप्ति सिंह "दीया"

नमन, माँ शारदे

नमन, लेखनी

2122 1212 22



याद जब आपकी चली आए,

जैसे खुशबू कोई चली आए।


हमने महसूस है किया जिनको ,

बात में वो खुशी चली आए।


आपके दिल में उतर आने से ,

रूह में रौशनी चली आए।


दिल को आराम भी नहीं मिलता ,

आँख में जब नमी चली आए।


आपका इश्क़ ऐसे हासिल हो ,

साँस में आशिक़ी चली आए।


इश्क़ तब और ख़ूबसूरत हो,

साथ पाकीज़गी चली आए।


ये तो दीया की ख़ुशनसीबी है ,

पास यूँ ज़िंदगी चली आए।

©दीप्ति सिंह "दीया"


टिप्पणियाँ

  1. बेहद खूबसूरत, कमाल ग़ज़ल ✨👏👏🙏

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  2. बेहतरीन ग़ज़ल 🙏🍃

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