चाय ©रजनीश सोनी
हो इसी से मेजबानी।
चाय की दुनिया दी'वानी।।
दाँत की है क्या जरूरत,
बस इसे तो सुरक जानी।
चाय की चुस्की चली तब,
ठंड ने भी हार मानी।
चाय से आदर, निरादर,
चल पड़े किस्सा कहानी।
जो पिलाये स्वागम् है,
धन्य! उनकी मेहरबानी।
पी इसे खुश हो रहे सब,
दादा' दादी नाना' नानी।
सुबह से अब बाल बच्चे,
लग गये हैं रट लगानी।
"नेह" कुछ नखरे दिखायें,
पर उसी में नजर जानी।
©रजनीश सोनी "नेह"
वाह सर 🙏
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं सरस पूर्णिका 💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना सर जी 🙏
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