गीत- स्वेटर ©ऋषभ दिव्येन्द्र
नमन, माँ शारदे
नमन, लेखनी
आधार छंद– हंसगति
११–९, यति पूर्व त्रिकल और अन्त में २ गुरु अनिवार्य
बुनती माँ निज हाथ, प्रेम बरसाती।
स्वेटर में भर नेह, नवल पहनाती।।
झलके सहज ममत्व, चित्त को भाता।
कोटि-कोटि से फन्द, धैर्य बतलाता।।
रंग-बिरंगे तन्तु, सुहावन सारे।
संयम की मधु गाँठ, बड़े ही प्यारे।।
अनुपम रूप अनूप, स्वयं इठलाती।
स्वेटर में भर नेह, नवल पहनाती।।
रचती रोचक फूल, खींचती रेखा।
करती विविध प्रयत्न, जोड़ती लेखा।।
लिए सिलाई हस्त, बुने वह ताने।
सोचे सुखद भविष्य, बात सब जाने।।
चित्र उकेर अनेक, मन्द मुस्काती।
स्वेटर में भर नेह, नवल पहनाती।।
बढ़ता शीत प्रकोप, बहुत दुखदाई।
तब स्वेटर रंगीन, लगे सुखदाई।।
अपनेपन का भाव, समाहित ऐसे।
महके हिय का कुंज, पुष्प से जैसे।।
उपजे उर आनन्द, छटा बिखराती।।
स्वेटर में भर नेह, नवल पहनाती।।
©ऋषभ दिव्येन्द्र
सुंदर छंद रचना 💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण गीत ऋषभ जी
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं भावपूर्ण छंद बद्ध गीत 💐
जवाब देंहटाएंआप सभी का और मंच का हृदय से आभार 🥰🙏
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर और भावपूर्ण गीत💐💐
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण छंद सृजन💐
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण गीत भाई👌
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