मैदान कभी छोड़ना नहीं ©तुषार पाठक

 तुम मैदान छोड़ के मत जाना,

हर निराशा में आशा ढूँढना,

अर्जुन जैसे अपना लक्ष्य रखना,

तो कर्ण के जैसे योद्धा बनना की भगवान को तुम्हारे लिए मैदान में आना पड़े,

और वीर अभिमन्यु की तरह कभी खुद को कमज़ोर समझना नहीं,

वहीं राम के जैसे शांत रहना,

बस अपने पर विश्वास रखना।


हर हार के बाद अपने आपको संभाले रखना,

क्योंकि हर लड़ाई आख़िरी नहीं,

आख़िरी लड़ाई वही है जहाँ आपने मैदान छोड़ दिया,

और जहाँ हार निश्चित हो वहाँ लड़ना ज़रूर क्योंकि वहाँ जीतने का मज़ा ही अलग है,

और हर हाल मे मुस्कुराते रहना,

कह देना सभी से आज नहीं तो कल मै जीत के ही जाऊँगा।

©तुषार पाठक

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