ना उछल जाये ©रजनीश सोनी


देख नैनो का ये जादू न तुम पे चल जाये। 

हो कयामत न कहीं जान ही निकल जाये।


कोई तरकीब नहीं काम की दिखा करती, 

कैसे देखे बिना बेचैन दिल बहल जाये।


प्यार शक्कर की तरह दूध में घुला होता, 

ये अलग हो नहीं सकता भले उबल जाये।

 

जो कभी नैन को भाया समा गया दिल में, 

याद रहता हैं भले ये शरीर ढल जाये। 


लोग कहते नही उनकी तरफ से हम कहते, 

डर है मेरा भी कहीं नाम ना उछल जाये। 


रोज मिटती हैं इबारत ये श्यामपट वाली, 

हो शिला-लेख तो कैसे कहो बदल जाये। 


संग-दिल हो न मगर "नेह" संग-मरमर हो, 

मोम दिल क्या की जरा धूप पा पिघल जाये। 


©रजनीश सोनी "नेह"

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