ग़ज़ल ©परमानंद भट्ट
नमन, माँ शारदे
नमन, लेखनी
तेरी मौजूदगी माहौल में जादू जगाती है,
हज़ारों फूल खिलते हैं अगर तू मुस्कराती है।
हरा या सुर्ख़ पीला रंग तुम पर ख़ूब फबता पर,
गुलाबी रंग की साड़ी मुझे बेहद सुहाती है।
लरज़ कर डालियाँ उसको गले अपने लगा लेतीं ,
चमन में शोख़ चिड़िया जब चहकने लौट आती है।
न जाने कब कहाँ पर मौत आ हमको दबोचेगी,
झपट्टा मार कर बिल्ली कि ज्यूँ चूहा दबाती है।
मुझे जिस नाम से अम्मा बुलाती थी जगाने को,
अभी तक कान में मेरे वही आवाज़ आती है।
हमें उसकी ज़रूरत है उसे है ये ग़लतफ़हमी,
"ज़रा देखें हमारी बेरुख़ी क्या रंग लाती है"।
'परम' के प्यार में पागल फ़कीरों ने बताया ये,
जिसे वो चाहता उसको सदा दुनिया सताती है।
©परमानन्द भट्ट
बेहतरीन गज़ल सर
जवाब देंहटाएंवाह्हहह!!! क्या बात है!!!लाजवाब गज़ल 💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल है सर🙏
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