वो ©अंजलि
नमन, माँ शारदे
नमन, लेखनी
हर किसी का पहला अपना,सब जग विधाता है वो,
प्रीत निभाए शिव सी, धर्म कृष्ण सा निभाता है वो।
कहीं पहाड़, झील,झरने,कहीं ऊँची इमारतें विशाल
जगमग सितारों से हर गली कूचे को सजाता है वो।
ज़्यादा बरसे बाढ़ ले आए, कम हो तो सूखा पड़ जाए
ज़्यादा-कम में संयम दे ज़िंदगी जीना सिखाता है वो।
हारे का बनता सहारा, भाग्य लिखे को बदल देता है,
जो याद करे कोई दिल से बिगड़े काम बनाता है वो।
कृष्ण बन कर्म का पाठ पढ़ाए, भक्ति का मर्म बताए,
सिखाने सृष्टि को मर्यादा का पाठ राम बन आता है वो।
©अंजलि
बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंअति सुंदर सृजन 💐
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत सुंदर मनहर रचना 🌹🌹
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर... 👏👏
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर रचना दीदी 🙏🍃
जवाब देंहटाएंसुंदर भावों भरी रचना💐
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