छंद ©लवी द्विवेदी
बाँवरी विभावरी वियोग प्रेम अश्रु धार,
पादुका पखार आस आसनी दई तुषार।
तर्जनी ललाम श्याम डोलती करे विहार,
पंख मौर सौम्य देख वक्ष हर्षिता अपार।
डोलते अनेक प्रश्न किन्तु शिल्पजा विहीन,
कंज रूप लुप्त प्राय हस्त, पंखुड़ी विलीन।
वाग वंदिता अचार्य हास्य मंत्रणा प्रवीन,
चंचला अपार किन्तु बैन श्याम को महीन।
वक्ष वाग हो अधीन भावना रही हिलोर,
पूछती विनम्र कल्पना लजा रही चकोर।
भाव भंगिमा सप्रेम प्रेम पाश प्रेम डोर,
प्रश्न ले प्रमोद नाचते अनेक ओर छोर।
चाल वक्र, ढाल वक्र, मोर पंख वक्र वाम,
नाम वक्र, बाँकुरे किशोर साँवरे प्रणाम।
श्याम रंग, श्याम केश, श्याम नैन, श्याम नाम,
श्याम बैन देख देख जीय ना रिझात श्याम?
©लवी द्विवेदी 'संज्ञा'
सुंदर चंचला छंद सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया छंद और भाव👌👌
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट छंद सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर छंद सृजन लवी💐
जवाब देंहटाएंअति उत्कृष्ट एवं भावपूर्ण छंद सृजन 💐
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