पीयूष वर्ष छंद- रूपचौदस ©रजनीश सोनी शहडोल

नमन, माँ शारदे

नमन, लेखनी  

छंद- पीयूष वर्ष

रूपचौदस की बधाई एवं शुभकामनाएं।


यह  सनातन है  चिरंतन  ज्ञान है,

रूप  से ही  जगत में  पहचान है।


रूप धारे हैं जगत जड़ जीव सब, 

रूप विविधा दे अलग संज्ञान है। 


रंग  है तो  रूप की  है  विविधता,

शोध कर  रचना करे  भगवान है। 


रूप चौदस  रूप यौवन के लिये, 

रूप  पर  ही   मोहता  इसान  है। 


कृतिमता छद्मावरण धर  रूप में, 

रूप हो जाते क्षणिक श्रीमान हैं।


रूप यौवन आगमित होता गमन, 

किन्तु होने तक रहे अभिमान है। 


सौष्ठव का पुट मिले जब रूप में, 

और मारक हो चले अभियान है। 


जगत में आकृष्ट करता रूप धन, 

धन्य है  जो  रूप से  धनवान है। 


©रजनीश सोनी शहडोल


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